बदरीनाथ धाम में हुई एक अद्वितीय घटना ने सभी को चौंका दिया। कपाट खोलने के समय, घृत कंबल पर लगाया गया घी सूखा नहीं, जिससे देश में शुभ संकेत की चर्चा हो रही है। जानिए इस रहस्यमयी घटना के पीछे की कहानी और इसके महत्व को।
बदरीनाथ धाम के कपाट खोलने के बाद, एक अद्वितीय घटना घटी जिसे तीर्थ पुरोहित देश के लिए एक शुभ संकेत मान रहे हैं। वास्तव में, बदरीनाथ के मूर्तिका कपाट बंद किये जाने के समय, जब घृत कंबल को हटाया गया, तो उस पर लगे घी का लेप पूरी तरह से सूखा नहीं था। इस अद्वितीय घटना को देखते हुए लोग इसे देश के लिए एक शुभ संकेत मान रहे हैं।
पूर्व धर्माधिकारी भुवन चंद्र उनियाल ने बताया कि जब बदरीनाथ गर्भगृह में घृत कंबल हटाया गया, तो घी का लेप पूरी तरह से सूख नहीं गया। यह घटना देश में खुशहाली के संकेत के रूप में देखी जा रही है।
पिछले वर्ष भी घी सूखा नहीं था। धार्मिक मान्यता के अनुसार, यदि बदरीनाथ के माथे के कंबल पर घी सूख जाता है, तो हिमालय क्षेत्र में सूख की स्थिति उत्पन्न होती है, और अगर निचले हिस्से में घी सूख जाता है तो देश में विपत्ति आती है।
घृत कंबल देश के प्रथम गांव माणा की महिलाओं द्वारा तैयार किया जाता है। बदरीनाथ धाम के कपाट बंद होने के दिन घी के लेप लगे कंबल को बदरीनाथ में ओढ़ा जाता है, और कपाट खुलने के दिन इस कंबल को तीर्थयात्रियों में प्रसाद के रूप में वितरित किया जाता है।
आज, टिहरी राजा के प्रतिनिधि ठाकुर भवानी सिंह पंवार के नेतृत्व में बदरीनाथ धाम के कपाट खुले। उनके साथ राजगुरु कृष्णानंद नौटियाल, ठाकुर नरेंद्र सिंह रौथाण, ठाकुर गौरव बर्त्वाल और डॉ. मानवेंद्र बर्त्वाल भी मौजूद थे।
यह बताया जाता है कि टिहरी राजा की कुंडली के आधार पर ही बदरीनाथ धाम के कपाट खोलने की तिथि निर्धारित होती है। बदरीनाथ धाम में ताला खोलने का काम राजगुरु करते हैं। कपाट खुलने के बाद, देश के प्रथम गांव माणा की महिलाओं ने मांगलिक गीतों के साथ ही बदरीनाथ के भजनों की प्रस्तुतियां भी दीं।
महिलाओं ने झुमेले के साथ “जय बदरी विशाल” का नारा लगाया, और कई अन्य भजनों की प्रस्तुतियां भी दीं। इस दौरान, तीर्थयात्रियों ने भी महिलाओं के साथ उत्साहपूर्वक झूमे।