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Budget 2023-24: मोदी सरकार अपने दूसरे कार्यकाल का आखिरी पूर्ण एक फरवरी 2023 को बजट पेश करने जा रही है. ठीक एक साल बाद 2024 में लोकसभा चुनाव होने को है. उसके पहले सरकार 2024 में अंतरिम बजट पेश कर पाएगी. मोदी सरकार ये पूर्ण बजट तब पेश करने जा रही है जब कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी मोदी सरकार को घेरने के लिए भारत जोड़ो यात्रा पर निकले हुए थे जिसका अभी अभी समापन हुआ है. राहुल गांधी ने मोदी सरकार की नीतियों को लेकर सरकार पर ताबड़तोड़ हमले बोले हैं. अब मुख्य विपक्षी दल हाथ से हाथ जोड़ो अभियान शुरू कर चुकी है. इस मिशन के तहत पार्टी मोदी सरकार की विफलताओं की चार्जशीट घर-घर बांट रही है. चुनाव जैसे जैसे नजदीक आता जाएगा मोदी सरकार पर राजनीतिक हमले तेज होंगे. मोदी सरकार पर दबाव बढ़ता जा रहा है तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अपने मंत्रियों को केंद्र सरकार की सफलता का बखान हर घर तक पहुंचाने और मध्यम वर्ग से जुड़ने की नसीहत भी दी है. ऐसे में सवाल उठता है कि आने वाला बजट लोकलुभावन होगा या वैश्विक आर्थिक संकट के मद्देनजर आर्थिक विकास को गति देने वाला.
चुनावी मौसम में सबको खुश करना होगा!
मोदी सरकार पर उद्योगपतियों की सरकार होने का आरोप लग रहा है तो सरकार के पास अपनी छवि सुधारने के लिए ये बजट आखिरी मौका है. हाल ही में सत्ताधारी दल को विधानसभा चुनावों में गुजरात में जीत मिली तो हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनावों में हार का स्वाद चखना पड़ा. दिल्ली एमसीडी और कई राज्यों में हुए उपचुनाव में पार्टी को हार का सामना करना पड़ा है. 2023 में नौ राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं जो लोकसभा चुनाव से पहले का सेमीफाइनल है. ऐसे में मध्यम वर्ग से लेकर किसानों, मजदूरों, युवाओं, छात्रों, बुजुर्गों और मिडिल क्लास के बीच मोदी सरकार पर अपनी छवि सुधारने का दबाव है. ऐसे में माना जा रहा है कि मोदी सरकार इस बजट में सभी वर्गों को खुश करने के लिए लोकलुभावन एलान कर सकती है तो साथ में आर्थिक विकास को गति देने के लिए पूंजीगत खर्चों में भारी भरकम इजाफा भी कर सकती है.
मिडिल क्लास महंगाई से परेशान!
बीते एक साल में महंगाई ने आम आदमी को सबसे ज्यादा परेशान किया है. खासतौर से मिडिल क्लास को. पेट्रोल डीजल से लेकर CNG-PNG, खाने के तेल, आटा-चावल सब महंगा हो गया. उसपर सरकार ने पैक्ड फूड आईटम्स पर जीएसटी बढ़ा दी. रही सही कसर महंगाई पर नकेल कसने के नाम पर आरबीआई ने कर्ज महंगा कर पूरा कर दिया. नतीजा होम लोन की ईएमआई महंगी हो चुकी है जिससे बचत पर डाका पड़ा है. ऐसे में मोदी सरकार पर मिडिल क्लास को इस बजट में राहत देने का सबसे बड़ा दबाव है. हाल ही में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था कि मिडिल क्लास होने के चलते उन्हें उनके दर्द का एहसास है. वित्त मंत्री के इस बयान के बाद उन्हें मिडिल क्लास को खुश करना होगा. ऐसे में निर्मला सीतारमण इस बजट में नई इनकम टैक्स व्यवस्था को लोकप्रिय बनाने के लिए टैक्स छूट की सीमा को 5 लाख रुपये तक बढ़ा सकती है जो अभी 2.50 लाख रुपये है. साथ ही 2.50 से 7.50 लाख रुपये की आय पर जो 10 फीसदी टैक्स लगता है उसे घटाकर 5 फीसदी टैक्स कर सकती हैं. पुरानी टैक्स व्यवस्था के तहत टैक्स स्लैब को भी तर्कसंगत करने का सरकार पर दबाव है. बचत को प्रोस्ताहित करने के लिए 80 सी के तहत निवेश की सीमा को 1.50 लाख रुपये से ऊपर बढ़ाने और होम लोन के ब्याज पर मिलने वाली टैक्स छूट की सीमा को 2 लाख रुपये से ज्यादा करने का दबाव है. मिडिल क्लास पर टैक्स का बोझ कम होगा तो इससे खपत को बढ़ाने में मदद मिलेगी जिसका फायदा अर्थव्यवस्था को होगा.
किसानों के लिए खुलेगा खजाना, अर्बन मनरेगा संभव
2022 तक मोदी सरकार ने किसानों की आय दोगुना करने का वादा किया था जो अब तक अधूरा है. ऐसे में किसानों को राहत देने के लिए सरकार पीएम किसान योजना के तहत 6000 रुपये सलाना दिए जाने वाले रकम को बढ़ाकर 8000 रुपये करने का एलान कर सकती है. मनरेगा स्कीम ने कोरोना काल के दौरान ग्रामीण इलाकों में रोजगार देने वाला सबसे कागगर कार्यक्रम साबित हुआ था. अब माना जा रहा है कि केंद्र सरकार शहरी इलाकों में बेरोजगारी की समस्या को दूर करने के लिए शहरी मनरेगा जैसी योजना शुरू कर सकती है. सरकार पर दोहरा दबाव है. एक तो चुनावी वर्ष में लोगों की आंकाक्षों पर खरा उतरना होगा. साथ ही वैश्विक आर्थिक चुनौतियों के मद्देनजर आर्थिक विकास को गति देना होगा.
आधारभूत ढांचे की मजबूती पर जोर
मौजूदा वर्ष 2022-23 में मोदी सरकार ने पूंजीगत खर्च के लिए 7.50 लाख करोड़ रुपये आवंटित किए थे जिससे देश में वर्ल्डक्लास आधारभूत ढांचा तैयार किया जा सके. माना जा रहा है कि इस वर्ष भी सरकार पूंजीगत खर्च के लिए भारी भरकम बजट का प्रावधान कर सकती है. इससे आर्थिक संकट को टालने में मदद मिलेगी, रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे साथ ही आधारभूत ढांचे को मजबूत करने में मदद मिलेगी. रेलवे के आधुनिकरण पर भी सरकार का जोर रहने वाला है. कई नए वंदे भारत ट्रेनें चलाने का एलान बजट में संभव है.
पीएलआई स्कीम में आयेंगे और भी सेक्टर्स
सरकार ने पीएलई स्कीम के जरिए कई सेक्टर्स में निवेश और मैन्युफैक्चरिंग को प्रोत्साहित किया है. माना जा रहा है कि इस बजट में कुछ और सेक्टर्स में निवेश को आकर्षित करने के लिए पीएलआई स्कीम के तहत जोड़ा जा सकता है. डिफेंस सेक्टर्स में मेक इन इंडिया को बढ़ावा देने देने के लिए और भी इंसेटिव दे सकती है. इससे देश में डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने में तो मदद मिलेगी ही रोजगार के नए अवसर जगेंगे.
लोकलुभावन और विकासउन्मुख बजट का होगा संगम!
ऐसे में मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का आखिरी पूर्ण बजट लोकलुभावन भी होगा जिसमें हर वर्ग का ख्याल रखा जाएगा तो साथ में वैश्विक आर्थिक चुनौतियों और आंशिक मंदी के आने की आशंका के मद्देनजर विकास की गाड़ी की रफ्तार को तेज करने वाला रहेगा.
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