नेपाल में भारी बारिश के बाद कोसी नदी ने सुपौल जिले के पांच प्रखंडों में तबाही मचाई। 1 लाख 30 हजार से अधिक लोग इस बाढ़ से प्रभावित हुए हैं, जबकि सैकड़ों गांव जलमग्न हो गए हैं। प्रशासन ने राहत कार्य तेज कर दिया है, लेकिन क्या ये मदद पर्याप्त है? जानिए तटबंध के अंदर की स्थिति और कैसे प्रभावित लोग जी रहे हैं बाढ़ की दहशत में।
कोसी नदी की बाढ़ ने मचाई तबाही, सुपौल जिले के हजारों लोग प्रभावित
हाल ही में नेपाल में हुई भारी बारिश के बाद कोसी नदी उफान पर आ गई, जिससे सुपौल जिले के पाँच प्रखंडों के 31 पंचायतों में तबाही मच गई। इस बाढ़ ने 1 लाख 30 हजार से अधिक लोगों को प्रभावित किया है। किशनपुर और सदर प्रखंड इस आपदा से सबसे ज्यादा पीड़ित हुए हैं। किशनपुर में चार पंचायत पूरी तरह बाढ़ की चपेट में आ गईं, जबकि पांच पंचायत आंशिक रूप से प्रभावित रहीं। सदर प्रखंड में भी चार पंचायत पूरी तरह और चार आंशिक रूप से प्रभावित हुईं, जिससे 37,555 लोग मुश्किल में पड़ गए।
प्रशासन की तैयारियां और राहत कार्य
जिले में बचाव कार्यों का जायजा लेने के बाद, जिलाधिकारी कौशल कुमार ने बताया कि उन्होंने पुलिस अधीक्षक शैशव यादव के साथ प्रभावित इलाकों का हवाई सर्वेक्षण किया। तटबंध के अंदर का पानी अब लगभग निकल चुका है और नदी का बहाव अब मुख्य धारा तक सीमित हो गया है। हालांकि, कई खेतों में अभी भी पानी जमा हुआ है, जो भविष्य में कृषि के लिए फायदेमंद हो सकता है।
बचाव कार्य के लिए 239 नावों का संचालन किया जा रहा है और 47 सामुदायिक रसोई केंद्र सक्रिय हैं, जहां प्रतिदिन लगभग 2.5 लाख लोगों को भोजन उपलब्ध कराया जा रहा है। राहत शिविरों में सूखा राशन, पॉलीथीन शीट्स और पशुचारा का वितरण किया गया है, जिससे हजारों परिवारों को सहायता मिल रही है।
स्वास्थ्य और सुरक्षा का ध्यान
बाढ़ प्रभावित इलाकों में स्वास्थ्य सेवाओं का भी पूरा ध्यान रखा गया है। 31 मेडिकल कैंपों के माध्यम से 2,143 लोगों का इलाज किया गया, जबकि मवेशियों के इलाज के लिए 22 शिविर लगाए गए। इसके अतिरिक्त, ब्लीचिंग पाउडर का छिड़काव और नए चापाकल लगवाने का कार्य भी तेजी से किया जा रहा है, ताकि स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से निपटा जा सके।
आर्थिक सहायता और मुआवजा
जिलाधिकारी ने बताया कि फसल और घरों को हुए नुकसान का सर्वेक्षण जारी है। जल्द ही मुआवजा पीड़ितों के बैंक खातों में सीधे जमा किया जाएगा। सरकार और जिला प्रशासन की ओर से राहत कार्य तेजी से किए जा रहे हैं, लेकिन कुछ सवाल भी उठते हैं—क्या यह राहत पर्याप्त है? क्या हर प्रभावित व्यक्ति तक सहायता पहुँच रही है?
मेरी राय:
प्रशासन का राहत कार्य सराहनीय है, लेकिन यह आवश्यक है कि ग्रामीण इलाकों में और अधिक व्यापक सहायता पहुंचाई जाए। बाढ़ जैसी आपदाओं का सामना केवल तत्काल राहत से नहीं किया जा सकता, बल्कि दीर्घकालिक योजनाओं और ग्रामीण बुनियादी ढांचे को मजबूत करके ही हम इन समस्याओं से जूझ सकते हैं। खासकर कोसी जैसी नदी के किनारे बसे क्षेत्रों में बाढ़ से बचाव के लिए ठोस कदम उठाने की जरूरत है, ताकि हर साल होने वाली इस त्रासदी को कम किया जा सके।