पश्चिम बंगाल पंचायत चुनाव नतीजों में तृणमूल कांग्रेस ने ग्राम पंचायतों की 35 हजार से ज्यादा सीटों पर बढ़त बनाई है। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने 9,545 सीट पर जीत दर्ज की है और 180 पर उसके उम्मीदवार आगे हैं। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) ने 2,885 सीट पर जीत दर्ज की है और 96 ग्राम पंचायत सीटों पर आगे है। कांग्रेस ने 2,498 ग्राम पंचायत सीटों पर जीत दर्ज की तथा 72 अन्य पर आगे है।
कोलकाता: पश्चिम बंगाल पंचायत चुनाव में भले ही टीएमसी ने बड़ी जीत हासिल की थी, लेकिन हार के बाद भी खुश बीजेपी नजर आ रही है। बीजेपी ने भले ही टीएमसी से कम सीटें जीती हों, लेकिन आंकड़े देखें तो 2018 के मुकाबले बीजेपी की सीटें बढ़ गईं। इतना ही नहीं, इस बार बीजेपी का वोट बैंक भी बढ़ा है। 2018 के पंचायत चुनाव में बीजेपी ने ग्राम पंचायत की 5779 सीटें जीती थीं। इस बार के ताजा आंकड़ों को देखें तो पार्टी अभी 9790 सीटों पर आगे है। मतलब आंकड़ों के हिसाब से बीजेपी इस बार बंगाल पंचायत चुनाव में दोगुना सीटें जीत रही है।
2018 पंचायत चुनाव का रिजल्ट बंगाल पंचायत चुनाव 2018 के आंकड़ों को देखें तो ग्राम पंचायत में टीएमसी ने 38118 सीटों पर और बीजेपी ने 5779 सीटों पर जीत हासिल की थी। पंचायत समितियों में 8062 सीटों पर टीएमसी का कब्जा था। वहीं बीजेपी के पास 769 पंचायत समिति की सीटें थीं। पांच साल पहले हुए चुनाव में बीजेपी के पास महज 22 जिला परिषद की सीटें थीं और टीएमसी का 793 जिला परिषद सीटों पर कब्जा था।
इस बार के नतीजों से बीजेपी क्यों खुश है राज्य निर्वाचन आयोग (एसईसी) के अनुसार बुधवार सुबह आठ बजे तक सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने 63,229 ग्राम पंचायत सीटों में से 34,359 पर जीत दर्ज कर ली हैं, जबकि उसके उम्मीदवार अन्य 752 पर आगे हैं। एसईसी की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक बीजेपी ने 9,545 सीट पर जीत दर्ज की है और 180 पर उसके उम्मीदवार आगे हैं। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी मार्क्सवादी (सीपीएम) ने 2,885 सीट पर जीत दर्ज की है और 96 ग्राम पंचायत सीटों पर आगे है। कांग्रेस ने 2,498 ग्राम पंचायत सीटों पर जीत दर्ज की हैं और 72 अन्य पर आगे हैं। टीएमसी ने जिला परिषद की 928 में से अब तक 764 सीटों पर बढ़त बनाई है। वहीं बीजेपी 25, सीपीएम 4, कांग्रेस 12 और अन्य को एक जिला परिषद सीट पर बढ़त मिली है। पंचायत समिति में टीएमसी 6420 सीटों पर आगे है। बीजेपी को 999, लेफ्ट को 189, कांग्रेस को 260 और अन्य को 133 सीटों पर बढ़त हासिल हुई है। अब तक के आंकड़ों को देखें तो बीजेपी की ग्राम पंचायत, पंचायत समिति और जिला परिषद तीनों में सीटें बढ़ी हैं। सीपीएम की भी 2018 के मुकाबले ग्राम पंचायतों में दोगुनी सीटें आ रही हैं। ग्राम पंचायत में सीपीएम+ को 1483 सीटें मिली थीं, वहीं इस बार उसका आंकड़ा 3143 तक पहुंच गया है। पंचायत समिति में सीपीएम को 110 के मुकाबले इस बार 189 और जिला परिषदों में शून्य के मुकाबले 3 सीटें मिलती दिख रही हैं। कांग्रेस को जहां 2018 के चुनाव में ग्राम पंचायत की 1066, पंचायत समिति की 133 और जिला परिषद की 6 सीटें मिली थीं, वहीं इस बार उसे ग्राम पंचायत की 2586, पंचायत समितियों की 264 और जिला परिषदों की 12 सीटें मिलती दिख रही हैं।
टीएमसी को कई गढ़ों में टक्कर नतीजों के बाद गदगद टीएमसी कई दावे कर रही है। हालांकि उत्तर से दक्षिण तक टीएमसी की बंपर जीत के बाद भी उसे अपने ही कई गढ़ों में बीजेपी से टक्कर मिली। नंदीग्राम में जहां टीएमसी का कब्जा था, इस बार वहां बीजेपी का कब्जा हो गया है। यह नंदीग्राम पंचायत में सुवेंदु अधिकारी विधायक हैं। खास बात यह है कि नंदीग्राम 2021 के विधानसभा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का गढ़ हुआ करती थी। जहां सुवेंदु ने इसे ममता बनर्जी से हथिया लिया वहीं अब पंचायत सीटें भी टीएमसी से छीन ली हैं।
पंचायत चुनाव रिजल्ट में दिखा अलग ट्रेंड नतीजों और रुझानों से यह भी पता चला कि पंचायत चुनाव दो साल पहले हुए 2021 के विधानसभा चुनावों से कैसे अलग थे। बंगाल के ग्रामीण मतदाताओं ने इस बार टीएमसी और बीजेपी से इतर कई इलाकों में कांग्रेस और सीपीएम उम्मीदवारों को चुना है, खासकर दक्षिण और मध्य बंगाल में। वहीं 2021 के विधानसभा चुनाव में 294 में से 213 सीटों पर टीएमसी और 77 सीटों पर बीजेपी को जीत हासिल हुई थी।