आर्टिकल 370 अस्थायी प्रवाधान,J&K भारत का अभिन्न हिस्सा : SC

सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने अनुच्छेद 370 को निरस्त करने और पूर्ववर्ती जम्मू-कश्मीर राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर अपना फैसला सुनाया है। शीर्ष अदालत ने अनुच्छेद 370 को हटाने के सरकार के फैसले को बरकरार रखा और कहा कि अगले साल 30 सितंबर तक विधानसभा चुनाव कराने के लिए कदम उठाया जाना चाहिए। SC ने केंद्र शासित प्रदेश के रूप में लद्दाख के पुनर्गठन को भी बरकरार रखा।

न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा कि अनुच्छेद 370, जिसे 5 अगस्त, 2019 को निरस्त कर दिया गया था, पूर्ववर्ती राज्य में युद्ध की स्थिति के कारण एक अंतरिम व्यवस्था थी। भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस संजय किशन कौल, संजीव खन्ना, बीआर गवई और सूर्यकांत पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने फैसला सुनाया। शीर्ष अदालत ने 16 दिनों तक दलीलें सुनने के बाद 5 सितंबर को फैसला सुरक्षित रख लिया था।

अनुच्छेद 370 पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के विषय में :

1) सुप्रीम कोर्ट ने संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के केंद्र सरकार के फैसले को बरकरार रखा है, जबकि यह माना है कि जम्मू और कश्मीर के पास देश के अन्य राज्यों से अलग कोई आंतरिक संप्रभुता नहीं है।

न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ ने खुद, जस्टिस गवई और जस्टिस सूर्यकांत के लिए फैसला लिखते हुए कहा, “भारतीय संविधान के सभी प्रावधानों को जम्मू-कश्मीर में लागू किया जा सकता है। हम संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के लिए संवैधानिक आदेश जारी करने की राष्ट्रपति की शक्ति के प्रयोग को वैध मानते हैं।”

2) शीर्ष अदालत की 5 न्यायाधीशों की पीठ ने पूर्ववर्ती राज्य जम्मू और कश्मीर से केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख को अलग करने के सरकार के फैसले को भी बरकरार रखा।

3) भारत के मुख्य न्यायधीश की अगुवाई वाली पीठ ने यह भी कहा कि केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में अगले साल 30 सितंबर तक विधानसभा चुनाव होने चाहिए और यह भी निर्देश दिया कि जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा जल्द से जल्द बहाल किया जाना चाहिए।

4) भारत के मुख्य न्यायधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि अनुच्छेद 370 तत्कालीन राज्य में युद्ध की स्थिति के कारण एक अंतरिम व्यवस्था थी। उन्होंने यह भी कहा कि जम्मू और कश्मीर भारत का अभिन्न अंग बन गया है जो अनुच्छेद 1 और 370 से स्पष्ट है। न्यायमूर्ति एसके कौल ने भी इस मामले पर मुख्य न्यायधीश के फैसले से सहमति जताई और कहा कि अनुच्छेद 370 का उद्देश्य धीरे-धीरे पूर्ववर्ती राज्य जम्मू-कश्मीर को अन्य भारतीय राज्यों के बराबर वापस लाना था।

5) भारत के मुख्य न्यायधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने यह भी कहा कि राष्ट्रपति की शक्ति के प्रयोग के दौरान परामर्श के सिद्धांत का पालन करना आवश्यक नहीं है।

6) भारत के मुख्य न्यायधीश चंद्रचूड़ ने अपने फैसले में कहा कि राज्यों की ओर से लिए गए केंद्र सरकार के हर फैसले को कानूनी चुनौती नहीं दी जा सकती और इससे राज्य का प्रशासन ठप हो सकता है।

7) “महाराजा की उद्घोषणा में कहा गया था कि भारत का संविधान खत्म हो जाएगा। इसके साथ ही, विलय पत्र का पैरा अस्तित्व में नहीं रह जाता है। राज्य में युद्ध की स्थिति के कारण अनुच्छेद 370 एक अंतरिम व्यवस्था थी। पाठ्य वाचन से यह भी संकेत मिलता है कोर्ट ने कहा, ”अनुच्छेद 370 एक अस्थायी प्रावधान है।”

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी X के माध्यम से ३७० के एससी के फैसले पर अपने विचार प्रकट किये हैं , “आर्टिकल 370 हटाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट का आज का निर्णय ऐतिहासिक है, जो 5 अगस्त, 2019 को संसद में लिए गए फैसले पर संवैधानिक मुहर लगाता है। इसमें जम्मू, कश्मीर और लद्दाख के हमारे भाई-बहनों के लिए उम्मीद, उन्नति और एकता का एक सशक्त संदेश है। माननीय कोर्ट के इस फैसले ने हमारी राष्ट्रीय एकता के मूल भाव को और मजबूत किया है, जो हर भारतवासी के लिए सर्वोपरि है।

 

मैं जम्मू, कश्मीर और लद्दाख के अपने परिवारजनों को विश्वास दिलाना चाहता हूं कि आपके सपनों को पूरा करने के लिए हम हर तरह से प्रतिबद्ध हैं। हम यह सुनिश्चित करने के लिए संकल्पबद्ध हैं कि विकास का लाभ समाज के हर वर्ग तक पहुंचे। आर्टिकल 370 का दंश झेलने वाला कोई भी व्यक्ति इससे वंचित ना रहे।

आज का निर्णय सिर्फ एक कानूनी दस्तावेज ही नहीं है, बल्कि यह आशा की एक बड़ी किरण भी है। इसमें उज्ज्वल भविष्य का वादा है,

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *