विदेश मंत्रालय ने दिया चेतावनी कि ईरान-इस्राइल युद्ध के दौरान भारतीय नागरिकों को सतर्क रहने की आवश्यकता है। युद्ध के तनाव में बनी स्थिति पर विचार करते हुए, विदेश मंत्रालय ने सलाह दी कि यात्रा से बचें और सुरक्षित रहें।
विदेश मंत्रालय ने ईरान और इस्राइल के लिए यात्रा सलाह जारी की है। भारतीय नागरिकों को सलाह दी गई है कि ईरान और इस्राइल की यात्रा से बचें, जब तक विदेश मंत्रालय से नई जानकारी न मिले। उन सभी भारतीयों से भी अनुरोध किया गया है, जो वर्तमान में ईरान और इस्राइल में रह रहे हैं, कि वे तुरंत दूतावास से संपर्क करें और अपना पंजीकरण कराएं। उन्हें अपनी सुरक्षा का ख्याल रखने की सलाह दी गई है और अपनी गतिविधियों को कम लोगों के साथ ही साझा करने का अनुरोध किया गया है।
इसके अलावा, भारत ने अपने यहां के मजदूरों को इस्राइल भेजने का फैसला फिलहाल टाल दिया है। अप्रैल-मई में छह हजार निर्माण मजदूरों को इस्राइल भेजने की योजना थी।
विदेश मंत्रालय का यह फैसला इस्राइल और हमास के बीच जारी युद्ध के कारण आया है। आशंका है कि इस्राइल हमास के बीच जारी युद्ध में ईरान भी हस्तक्षेप कर सकता है।
अमेरिका ने भी अपने नागरिकों को खतरे के लिए जारी एडवाइजरी जारी की है। उन्हें यात्रा से बचने, दिशा निर्देशों का पालन करने और जरूरत पड़ने पर दूतावास से संपर्क करने का सुझाव दिया गया है।
इस्राइल-हमास के बीच युद्ध कब और कैसे शुरू हुआ? हमास ने 7 अक्तूबर 2023 को इस्राइल की अभेद्य मानी जाने वाली सुरक्षा व्यवस्था को तोड़ते हुए इसके इलाकों में हमला किया था। इस हमले में 1200 से ज्यादा इस्राइलियों की जानें गई थीं। इस दौरान हमास लड़ाके 240 लोगों को बंधक बनाकर गाजा ले गए थे। इस्राइल के जवाबी हमलों में हजारों फलस्तीनियों की मौत हो चुकी है। गाजा के 24 लाख लोगों में से 19 लाख अपने घरों से विस्थापित हो गए हैं, उनमें आधे बच्चे शामिल हैं।
7 अक्तूबर 2023 के हमले के बाद इस्राइल ने हमास को जड़ से मिटाने का संकल्प लिया था। इसके लिए इस्राइली सेना ने गाजा में हवाई और जमीनी हमले किए। इस तरह से हमास और इस्राइल के बीच बीते छह महीने से खूनी जंग जारी है। हालांकि, हाल ही में जो बाइडन के एक बयान से दोनों पक्षों में युद्धविराम को लेकर अटकलें शुरू हो गईं।
इस वजह से ईरान की होगी जंग में एंट्री। एक अप्रैल को सीरिया में ईरान के वाणिज्य दूतावास पर हमला हुआ था। इससे दूतावास का एक खंड पूरी तरह ध्वस्त हो गया था। वहीं, ईरान के दो शीर्ष सैन्य जनरल और पांच अन्य अधिकारी भी मारे गए थे। इस हमले का ईरान इस्राइल पर आरोप लगा रहा है। साथ ही उसने जवाबी कार्रवाई करने की चेतावनी दी है। ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामनेई ने बुधवार को चेतावनी दी थी कि इस्राइल को सजा दी जानी चाहिए। उस पर इस्राइली विदेश मंत्री ने कहा था कि अगर ईरान हमला करता है तो हम कड़ा जवाब देंगे। चेतावनी को देखते हुए इस्राइल गुरुवार को अलर्ट पर था। ईरानी राष्ट्रपति के राजनीतिक मामलों के डिप्टी चीफ ऑफ स्टाफ मोहम्मद जमशीदी ने सोशल मीडिया पर लिखा था कि अमेरिका को बीच में नहीं आना चाहिए ताकि वह हमले की चपेट में न आ जाए।
अमेरिका ने भी ईरान और उसके सहयोगियों द्वारा हमला किए जाने की चेतावनी दी है। हमले की संभावना को देखते हुए मध्य पूर्व तनाव बढ़ गया है। इस्राइल ने अपनी हवाई सुरक्षा को मजबूत करने और लड़ाकू इकाइयों को छुट्टी न देने का फैसला लिया है।
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने ईरान और उसके सहयोगियों के खिलाफ इस्राइल के समर्थन का जताया है। उन्होंने कहा है कि ईरान और उसके सहयोगियों से खतरों से इस्राइल की सुरक्षा के प्रति हमारी प्रतिबद्धता दृढ़ है और हम इस्राइल की सुरक्षा के लिए हर संभव प्रयास करेंगे।