बिहार में पुश्तैनी जमीन बेचने के नए नियम के साथ, लोगों को अब वंशावली बनाने के लिए नई विधि से गुजरना होगा। नए आदेश के अनुसार, लंबी प्रक्रिया के माध्यम से वंशावली प्राप्त करना होगा। जानिए इस नए बदलाव की सभी जरूरी बातें इस रिपोर्ट में।
बिहार में पुश्तैनी जमीन बेचने के लिए नया नियम लागू हुआ है, जिससे हर किसी के पसीने छूटने लगे हैं. इन दिनों लोकसभा चुनाव से ज्यादा बिहार में यही हॉट टॉपिक बना हुआ है। पहले लोग मौखिक हिस्सेदारी तय कर जरूरत के हिसाब से कम या ज्यादा जमीन बेच लिया करते थे, लेकिन अब वंशावली बनवाने की भी एक विधिवत प्रक्रिया घोषित कर दी गई है।
निबंधन सहयोगी राम बहादुर महतो बताते हैं कि नए आदेश के बाद अब वंशावली बनाने के लिए हर किसी को लंबी प्रक्रिया से गुजरना पड़ेगा। वे बताते हैं कि पहले सरपंच के कार्यालय में फॉर्म भरकर देना होता था। इसके बाद वहां से वैरिफिकेशन कर वे आपको मोहर मारकर वंशावली जारी कर देते थे। यह हर कार्यालय में वैलिड माना जाता था। लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। अब वंशावली फॉर्म पर स्थानीय मुखिया, आंगनबाड़ी सेविका, चौकीदार और वार्ड पंच हस्ताक्षर करेंगे। इसके बाद इस फॉर्म को आपको अपने अंचल कार्यालय में जमा कराना होगा। वहां से जांच के लिए फॉर्म सरपंच को भेजा जाएगा। उनके सत्यापन के बाद वंशावली जारी होगी।
मार्च 2024 से इन बातों का रखें ख्याल। बिक्रमपुर के ग्राम प्रधान रमेश सिंह ने लोकल 18 के जरिए जानकारी साझा करते हुए बताया कि पुश्तैनी जमीन बेचने के लिए अब कुछ बातों का ख्याल रखना जरूरी है। उन्होंने बताया कि आप जितने भाई हैं, सभी अपने-अपने हिस्से की जमीन का शेड्यूल बना लें। फिर इसका लगान रशीद कटवा लें। ऐसा होने के बाद ही आप पुश्तैनी जमीन को बेच सकते हैं। यह जानकारी नए नियमों के आधार पर इन्होंने दी। दूसरी ओर, मंझौल रजिस्ट्री कार्यालय से जुड़े निबंधन सहयोगी राम बहादुर महतो बताते हैं कि पुश्तैनी जमीन बेचने के लिए विक्रेता के नाम से जमाबंदी होनी चाहिए। रसीद पर खाता और खेसरा नंबर भी ठीक से लिखा होना चाहिए।
जमीन मालिकों को वंशावली के लिए नहीं लगानी होगी दौड़। राज्य में जमाबंदीधारी द्वारा ही जमीन की बिक्री किए जाने का नियम लागू होने के बाद इसके निबंधन में कमी आई है। इसका मुख्य कारण है पारिवारिक जमीन का बंटवारा नहीं होना। इसके लिए वंशावली मुख्य दस्तावेज है।
वंशावली बनाए जाने के काम में तेजी लाने के लिए शिविर का आयोजन किया जाएगा। इसके लिए सरपंच और अंचल कार्यालय की भाग-दौड़ नहीं लगानी होगी। इस संबंध में राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के सचिव जय सिंह ने राज्य के सभी डीएम को पत्र भेजा है।
इसमें उन्होंने लिखा है कि पूर्व से सृजित जमाबंदी में छूटे हुए खाता, खेसरा, रकबा और लगान को अपडेट किया जाए। पारिवारिक बंटवारे के लिए वंशावली शिविर लगाकर शीघ्र तैयार किया जाए।
उन्होंने इसके लिए सप्ताह में तीन दिन मंगलवार, बुधवार और गुरुवार को हलका मुख्यालय में इसका प्रचार-प्रसार कर शिविर का अयोजन कराने को कहा है। जरूरत पड़ने पर इसकी संख्या बढ़ाने की बात भी कही है।
इसके अलावा पंचायत भवन, ग्राम कचहरी एवं सामुदायिक भवन आदि को हलका मुख्यालय के रूप में चिह्नित करते हुए शिविर का आयोजन कराया जाए।
पहले आओ-पहले पाओ का नियम लागू नहीं। सचिव ने पत्र में यह भी लिखा है कि फरिकानों के स्वघोषित वंशावली के साथ बंटवारानामा (शेड्यूल) प्राप्त होने पर सीओ की ओर से आनलाइन इसका दाखिल-खारिज कर नई जमाबंदी तैयार की जाएगी।
उन्होंने बंटवारानामा के आधार पर दाखिल-खारिज के आवेदन को फर्स्ट इन, आउट फर्स्ट (फीफो) यानी पहले आओ पहले पाओ नियम से बाहर रखा जाएगा। इसे प्राथमिकता के आधार पर निष्पादित किया जाएगा।
छूटे खाता, खेसरा व रकबा के आवेदन के लिए भी शिविर में सुविधा होगी। सचिव ने सृजित जमाबंदी में छूटे हुए खाता, खेसरा, रकबा और लगान को अपडेट करने के लिए भी शिविर में आवेदन लेने की बात कही है। साक्ष्य के साथ परिमार्जन के लिए आए आवेदन को स्वीकार करते हुए आगे की कार्रवाई की जाएगी।
सचिव ने सार्वजनिक स्थलों को चिह्नित करते हुए सक्षम पदाधिकारी और कर्मचारी को यथाशीघ्र इस कार्य को कराने के लिए निर्देश देने को कहा है। अपर समाहर्ता को जिम्मेदारी रहेगी कि वह सभी अंचल अधिकारी से इस कार्य में हुई प्रगति की समीक्षा करते हुए पाक्षिक रिपोर्ट विभाग को उपलब्ध कराएं।