वैद्य हेमराज मांझी की अनूठी देशी औषधियों से सेवा का कार्य नहीं सिर्फ छत्तीसगढ़ के, बल्कि पूरे भारत में चमत्कारी इलाज की दिशा में मिल रही है। इस कहानी में उनके अनुसंधान के पीछे के सिद्धांतों को जानकर जड़ी-बूटी के क्षेत्र में एक नए दृष्टिकोण को समझने का मौका है।
रायपुर: आयुर्वेद में एक अद्भुत कहानी है। तक्षशिला विश्वविद्यालय के चरक और उनके साथीयों ने अपने शिक्षा के सफल समापन के बाद अंतिम परीक्षा के लिए गुरुकुल के गुरु द्वारा बुलाए जाने पर एक अद्वितीय परीक्षा का सामना किया। उनसे कहा गया कि वह ऐसे पौधे लाएं जिनमें नए औषधीय गुण हों और जिनके बारे में पहले से कुछ नहीं पता हो। सभी छात्रों ने कुछ पौधे लाए, लेकिन केवल चरक ने खाली हाथ लौटकर कहा कि उसने सभी पौधों में औषधीय गुण पाए, लेकिन सभी लाना संभव नहीं था, इसलिए वह खाली हाथ आया। गुरु ने बताया कि परीक्षा में केवल चरक ही सफल रहे। यह कहानी हमें यह सिखाती है कि जड़ी-बूटी के क्षेत्र में अनुसंधान का महत्व है।
छत्तीसगढ़ के नारायणपुर जिले के वैद्य हेमराज मांझी ने अपना पूरा जीवन जड़ी-बूटियों की खोज में व्यतीत किया है और लगभग पांच दशकों से हजारों लोगों को ठीक किया है। इस सेवा के लिए, केंद्र सरकार ने उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया है। आज, मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने राज्य अतिथि गृह में मांझी को सम्मानित किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने छत्तीसगढ़ का गौरव पूरे देश में बढ़ाया है और उन्होंने अनेक बीमारियों में लोगों का उपचार किया है।
वैद्य मांझी ने मुख्यमंत्री के प्रति हार्दिक आभार व्यक्त किया और कहा कि उन्होंने सेवा का कार्य किया और लोगों को ठीक किया, और वह इस सम्मान के लिए आभारी हैं। उन्होंने बताया कि उनकी सेवा का कार्य करते समय उन्हें पूरे दिन लगभग सौ से अधिक मरीज मिलते हैं, जिन्हें वे निर्धारित मूल्य पर उपचार करते हैं।
मांझी ने बताया कि वनौषधियों में अद्भुत शक्ति है, और उन्होंने वनौषधियों को सही अनुपात में मिलाकर विभिन्न बीमारियों का इलाज किया है। उनकी विशेषज्ञता में वह नाड़ी पर आधारित मर्ज की पहचान करते हैं और उसके अनुसार इलाज करते हैं। उनके अनुभव के कारण, उनकी विद्या ने नारायणपुर के अलावा दूसरे जिलों के मरीजों को भी उनके पास आने को प्रेरित किया है।
मांझी ने बताया कि वनौषधियों के निर्माण में शहद, लौंग, और अन्य मसाले भी शामिल होते हैं, जिससे खर्च को वे मरीजों से लेते हैं। उन्होंने कहा कि जब तक साँसें हैं, वह सेवा करते रहेंगे और उन्होंने अपने उत्साह की बात की, कहते हुए कि वह नई पीढ़ी को नाड़ी से मर्ज जानना सिखा रहे हैं और जड़ी-बूटियों के गुणों के बारे में भी शिक्षा देंगे।