नीतीश कुमार को राष्ट्रीय जनता दल वाले पलटूराम कहते रहे लेकिन तब जब नीतीश ने भाजपा के साथ गठबंधन किया. समय बदला, नीतीश ने राष्ट्रीय जनता दल से यारी कर ली।अब फिर कहा जा रहा है कि नीतीश कुमार पाला बदल सकते हैं और भारतीय जनता पार्टी से समर्थन हासिल कर मुख्यमंत्री बन सकते हैं।
बिहार के राजनीतिक मंच पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपनी स्थिति में महागठबंधन से अलग होने का निर्णय लिया है, और इसके परिणामस्वरूप वह एक बार फिर से बीजेपी के साथ जुड़कर सरकार बना सकते हैं। 28 जनवरी को नीतीश कुमार की चुनौती है कि वह मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देंगे और बीजेपी के समर्थन में पुनः शपथ लेंगे। सूत्रों के अनुसार, इस बार बनेगी नीतीश कुमार की सरकार का नया रूप, जिसमें वह और दो डिप्टी सीएम बनेंगे, जो बीजेपी कोटे से चयनित होंगे।
नीतीश कुमार ने बिहार की राजनीति में दशकों तक अपनी अद्वितीय पहचान बनाई है। उन्होंने 1974 के छात्र आंदोलन के समय राजनीतिक मैदान में कदम रखा और 1985 में विधायक चुने जाने के बाद, उनकी राजनीतिक करियर में कई मोड़ आए हैं। उन्होंने बीहड़ में राजनीति की शुरुआत की, फिर विभिन्न गठबंधनों में शामिल होकर राजनीतिक सीगा बढ़ाई, लेकिन बार-बार पलटी मारने का दृढ़ निर्णय लिया।
नीतीश कुमार ने 1994 में जनता दल को छोड़कर एनडीए में शामिल होते ही बीजेपी के साथ मिलकर 2013 तक रहते हुए बिहार में सरकार बनाई, जिसमें उन्होंने मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया। उन्होंने 2014 में बीजेपी के साथ नाता तोड़ा, लेकिन 2015 में पुनः आरजेडी, कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बनाई। 2017 में फिर से बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बनाई गई, और उन्होंने बीजेपी के साथ 2020 तक साझा संघर्ष किया।
2022 में हुई चुनावों में नीतीश कुमार ने बीजेपी के साथ फिर से साथ आने का फैसला किया है, जिससे राजनीतिक मंच पर बड़ी चर्चाएं हो रही हैं। इसका प्रभाव न केवल बिहार की राजनीति में होगा, बल्कि पूरे देश में भी इसका महत्वपूर्ण प्रभाव हो सकता है।