Bihar politics: नीतीश कुमार ने जेडीयू की कमान अपने हाथों में लेने का फैसला किया है, लेकिन इसके परिणामस्वरूप ललन सिंह के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से हटने से गठबंधन में खलबली मच गई है। इससे कयास लगाया जा रहा हा कि इंडिया गठबंधन को खतरा है और वह विकल्पों के सोच रहा है। राष्ट्रीय परिषद की बैठक में कुछ प्रस्तावों को मंजूरी मिलने के बाद, नीतीश कुमार को बिहार के बाहर जाकर जनजागरूकता करने का आदान-प्रदान करना है।
यह तय है कि नीतीश अब देशभर में अपनी महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने के लिए यात्रा करेंगे। इसके अलावा, जेडीयू यूपी और झारखंड जैसे प्रदेशों में भी अपने उम्मीदवारों को लाने का निर्णय किया गया है। इसलिए, जो भी साथी इस मुहिम में शामिल होगा, उसे गठबंधन का हिस्सा माना जाएगा, अन्यथा नीतीश कुमार अब कांग्रेस के साथ सदैव साथ रहने के लिए तैयार नहीं हैं।
नीतीश के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने का मतलब क्या है?
नीतीश कुमार ने जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद को अपने नाम करने का निर्णय लिया है, जिसका मतलब है कि उन्होंने पार्टी की सरकारी स्थानांतरण की योजना बना ली है। इस फैसले के परिणामस्वरूप ललन सिंह को पार्टी अध्यक्ष पद से हटाया गया है। नीतीश ने पिछले तीन इंडिया गठबंधन की बैठकों में हाथ काली रहे थे। इसी कारण उन्होंने अब आकार्षण के नाटक से बाहर निकलकर राजनीति में सक्रिय भूमिका अदा करने का निर्णय लिया है।
नीतीश कांग्रेस और आरजेडी के सीधे डील करेंगे
नीतीश कांग्रेस और आरजेडी के साथ सीधे डील करेंगे ये तय है। इसलिए नीतीश कुमार ने ललन सिंह को किनारे कर पार्टी अध्यक्ष पद को अपने हाथों में ले लिया है। इससे स्पष्ट है कि नीतीश कुमार ने अब पूरी तरह स्वतंत्रता प्राप्त कर ली है और वह पार्टी की नीतियों को बनाए रखने के लिए तैयार हैं। यही नहीं, बीच-बीच में हुई सभी खानपानी और समझौतों के बावजूद, नीतीश कुमार का लक्ष्य भारतीय राजनीति को नए दिशा में ले जाना है, और इसके लिए वह बड़े फैसलों के लिए तैयार हैं।
दरअसल ललन सिंह पर आरजेडी की लाइन पकड़कर चलने का आरोप लग रहा था, जिससे पार्टी अपा जनाधार गंवा रही थी। पांच उपचुनाव के परिणामों में पार्टी की हालत सबके सामने है. इस बचाव में नीतीश कुमार ने इस बड़े नेता को निकाल दिया और दिखाया कि उनकी नेतृत्व में पार्टी एकजुट है और उनके साथ है।
विपक्षी गठबंधन का नेता बनने की थी उम्मीद
नीतीश कुमार को उम्मीद थी कि उन्हें विपक्षी गठबंधन का नेता बनाया जा सकता है, लेकिन इंडिया गठबंधन में उनके नाम को प्रस्तुत करने को लेकर लालू प्रसाद ने अपनी राय दी ही नहीं। यह स्पष्ट है कि लालू प्रसाद नीतीश कुमार के साथ मिलकर ज्यादा से ज्यादा सीटें जीतने की उम्मीद में हैं, और इसके लिए वह लोकसभा चुनाव में एकजुट होने को तैयार हैं। यह तय माना जा रहा है कि लोकसभा चुनाव के बाद आरजेडी नीतीश कुमार से सीएम पद छोड़ने की मांग करेगी।
नीतीश कुमार ने उम्मीदवारी में नामांकन के लिए बार-बार जेडीयू की साथी राजनीतिक दलों को बुलाया है, और इससे स्पष्ट है कि उन्हें गठबंधन का सहयोग चाहिए। इस पर आरजेडी का प्रतिक्रिया महत्वपूर्ण होगी, और इससे सीएम पद पर बने रहने के लिए नीतीश कुमार को कठिनाई हो सकती है।
जेडीयू के 16 सांसदों में 13 सांसद बीजेपी के साथ
जानकारी के मुताबिक, जेडीयू के 16 सांसदों में 13 सांसद बीजेपी के साथ जाने को लेकर इच्छुक हैं, लेकिन बीजेपी नीतीश कुमार को राज्य में सीएम पद नहीं देने के लिए तैयार नहीं है। बीजेपी की योजना है कि वह नीतीश कुमार को केन्द्र में मंत्रिमंडल में शामिल करेगी, जबकि राज्य में उनके नेताओं को उपमुख्यमंत्री का पद प्रदान किया जाएगा। इस पर नीतीश कुमार की राय अभी तक स्पष्ट नहीं है, लेकिन उन्होंने बीजेपी के साथ मिलकर विभिन्न विकल्पों का मूल्यांकन करने का संकेत दिया है।