अंबाला का हिसार मार्ग से संपर्क अब भी टूटा हुआ है। इस रूटों पर बसों का संचालन बंद है। यहां बाढ़ प्रभावित गांवों में छतों तक पानी है और गलियां में नाव भी नहीं जा पा रही है। कुरुक्षेत्र में 15 से ज्यादा गांवों का संपर्क जिला मुख्यालय से कटा है। 10 से ज्यादा रूटों पर बसें बंद हैं।
हरयाणा: पहाड़ों पर प्रलय मचाने के बाद नदियों का पानी अब मैदानी क्षेत्र में आफत ला रहा था। यमुनानगर के हथिनीकुंड बैराज से लगातार पानी छोड़े जाने से यमुना नदी का जलस्तर खतरे के निशान के ऊपर बढ़ गया था। यमुना का पानी प्रदेश के तीन और जिलों सोनीपत, फरीदाबाद और पलवल में घुस गया था। अब हरियाणा के 10 जिले पंचकूला, यमुनानगर, अंबाला, करनाल, कैथल, कुरुक्षेत्र और पानीपत बाढ़ की चपेट में आ चुके थे।
बाढ़ और जलभराव से प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों में आठ लोगों की मौत हो गई थी। मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने आपदा में जान गंवाने वालों के परिवारों को चार लाख रुपये सहायता राशि देने और मकानों की मरम्मत के लिए सहायता राशि देने की घोषणा की थी। यमुना के पानी ने बुधवार को पानीपत में फिर से अपना रौद्र रूप दिखाया था। यहां ड्रेन नंबर-दो टूट गई थी। इससे भल्लौर गांव समेत आधा दर्जन गांवों के खेतों में पानी भर गया था। यहां मंगलवार को पत्थरगढ़ के पास यमुना का बांध टूट गया था। इससे नदी पानी का पानीपत-हरिद्वार स्टेट हाईवे तक पहुंच गया था और करीब 15 गांवों की 25 हजार एकड़ फसल डूब गई थी।
आधा दर्जन गांवों का एक-दूसरे और जिला मुख्यालय से संपर्क कट गया था। पानीपत के बाद यमुना ने सोनीपत के इलाकों में नुकसान पहुंचाना शुरू किया था। बुधवार सुबह मुरथल क्षेत्र के गांव मच्छरोला, भैरा बांकीपुर व बड़ौली के पास कटाव हो गया था। ग्रामीणों व प्रशासन ने काफी मशक्कत के बाद कटाव बंद कराया था।
यमुना के सटे करीब 25 गांवों तक पानी पहुंच चुका था। जाजल से टोंकी रोड पर पानी भरने व रास्ता टूटने से संपर्क बाधित हो गया था। यहां मंगलवार को यमुना का जलस्तर 216.1 मीटर था जो बुधवार को बढ़कर 216.4 तक पहुंच गया था। हालांकि यमुना खतरे के निशान 217 मीटर से अभी नीचे था। फरीदाबाद में यमुना से लगते गांवों में पानी घुसना शुरू हो गया था। करीब 10 हजार घरों में नदी का पानी भर गया था। जिला प्रशासन ने मंगलवार रात करीब दो बजे अमीपुर गांव में बाढ़ में फंसे 78 लोगों को रेस्क्यू किया था। फिलहाल इन लोगों को अमीपुर गांव के शेल्टर होम में रखा गया है।
अंबाला का हिसार मार्ग से संपर्क अब भी टूटा हुआ था। इस रूटों पर बसों का संचालन बंद था। यहां बाढ़ प्रभावित गांवों में छतों तक पानी था और गलियां में नाव भी नहीं जा पा रही थी। कुरुक्षेत्र में 15 से ज्यादा गांवों का संपर्क जिला मुख्यालय से कटा हुआ था। 10 से ज्यादा रूटों पर बसें बंद थीं। इससे रोडवेज को रोजाना दो लाख रुपये का नुकसान हो रहा था।
पिहोवा से पंजाब जाने वाले रास्ते बंद थे। कस्बे के गांव दीवाना में एनडीआरएफ की टीम ने लोगों को बचाया था। कैथल में पंजाब बॉर्डर पर चीका व समाना और पटियाला क्षेत्र में 50 गांवों से संपर्क टूटा हुआ था। चीका क्षेत्र से गुजर रही हांसी-बुटाना लिंक नहर में गांव सरोला, सरस्वती ड्रेन पर रसूलपुर-प्रेमपुरा गांव में नहर के तटबंध टूटे थे। गुहला क्षेत्र में अब तक 22 हजार एकड़ फसल जलमग्न हो चुकी थी। यमुनानगर में बिलासपुर रोड के रणजीतपुर में हरियाणा को हिमाचल से जोड़ने वाला पुल क्षतिग्रस्त हो चुका था। इस पर भारी वाहनों का प्रवेश बंद कर दिया गया था। पुलिस बैरिकेड लगाकर केवल दोपहिया वाहनों को निकाला जा रही थी। करनाल में बाढ़ से 27 गांव प्रभावित थे और 11 गांवों का संपर्क जिले से कट गया था। करनाल-गंगोह अंतरराज्यीय मार्ग बंद था। दो से 10 हजार क्यूसेक पानी सामान्य तौर पर रहता था। बुधवार को एक लाख 30 हजार क्यूसेक रहा, जोकि मंगलवार से करीब आधा रहा गया था।
अंबाला में चंडीगढ़ और बठिंडा मार्ग खुल गया था। अब प्रशासन ऊना और सहारनपुर मार्ग को खोलने की तैयारी में था। कैथल में अंबाला व चंडीगढ़ के अलावा पंजाब के पटियाला से संपर्क टूट चुका था। पंजाब बॉर्डर पर चीका व समाना और पटियाला क्षेत्र में 50 गांवों से संपर्क टूटा हुआ था। कैथल में हिसार-चंडीगढ़ राष्ट्रीय राजमार्ग पिहोवा से आगे बंद था। साथ ही कैथल-पटियाला राजमार्ग पूरी तरह से बंद हो गया था। यहां रोडवेज ने जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश व पंजाब के अलावा उत्तर प्रदेश के कई जिलों के रूट बंद कर दिए थे। चंडीगढ़ जाने वाली बसें भी अंबाला तक जा रही थीं।
बुधवार को बाढ़-बारिश से प्रदेश आठ लोगों की मौत हो गई थी। अंबाला में अलग-अलग स्थानों पर बाढ़ के पानी में डूबे छह लोगों के शव मिले थे। इसके अलावा एक व्यक्ति की करंट लगने से मौत हो गई थी। फरीदाबाद के बसंतपुर गांव की गड्ढा कॉलोनी में बाढ़ का पानी भरने पर सामान हटाते समय करंट लगने से 24 वर्षीय सतीश कुमार की मौत हो गई थी।
पलवल में मंगलवार शाम यमुना का जलस्तर बढ़ने से प्रह्लादपुर गांव के समीप करीब 35 एकड़ के टापू के चारों तरफ नदी का पानी आ गया था। टापू पर 10 किसान उनकी भैंस, भेड़-बकरी फंस गए थे। किसान बिरेंद्र, लाला, राजेंद्र, महेंद्र व चरण सिंह सहित अन्य किसान फंस गए थे। चरण सिंह की 150 भेड़-बकरी व अन्य की करीब 50-55 भैंसें टापू बनी पर रात तक फंसी रहीं। बिरेंद्र, लाला, राजेंद्र व महेंद्र सहित अन्य किसान तो अपनी भैंसों के साथ तैरकर बाहर निकल आए, परंतु चरण सिंह अपनी भेड़ों के साथ वहीं फंसा रहा था। बुधवार दोपहर में एनडीआरएफ ने नावों से उसे व भेड़-बकरियों को बाहर निकाल लिया था।