मनीष सिसोदिया की जमानत पर सस्पेंस बरकरार, ईडी मामले में कोर्ट ने टाला निर्णय

दिल्ली: दिल्ली के पूर्व उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका पर दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने फैसला 28 अप्रैल तक टाल दिया है। ED केस में कोर्ट ने 18 अप्रैल को फैसला सुरक्षित रख लिया था।

वहीं, CBI केस में जमानत को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट सुनवाई के दौरान बेंच ने CBI से कहा कि अगर आपके पास वो सबूत हैं, जिन पर आपको भरोसा है, तो हमें भी दिखाएं। मामले की सुनवाई गुरुवार को दोपहर ढाई बजे से होगी। इसके पहले, CBI ने पहली बार अपनी चार्जशीट में मनीष सिसोदिया का नाम आरोपी के तौर पर कोर्ट में पेश किया। CBI ने मंगलवार को ही राउज एवेन्यू कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की है।

सिसोदिया फिलहाल सीबीआई और ईडी द्वारा दर्ज मामलों में न्यायिक हिरासत में हैं। उन्हें सीबीआई मामले में विशेष न्यायाधीश ने 31 मार्च को जमानत देने से इनकार कर दिया था। उनकी जमानत याचिका दिल्ली उच्च न्यायालय के समक्ष लंबित है और इस पर 20 अप्रैल को सुनवाई होगी।
सिसोदिया को ईडी की हिरासत में भेजते हुए अदालत ने कहा था कि आबकारी नीति के निर्माण और कार्यान्वयन में सिसोदिया ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी और मनी लॉन्ड्रिंग मामले में उनकी गिरफ्तारी उचित है। ईडी ने आरोप लगाया है कि कुछ निजी कंपनियों को 12% का थोक व्यापार लाभ देने की साजिश के तहत आबकारी नीति लागू की गई थी।
एजेंसी ने यह भी कहा था कि एक साजिश थी जिसे थोक विक्रेताओं को असाधारण लाभ मार्जिन देने के लिए साउथ ग्रुप के साथ विजय नायर और अन्य व्यक्तियों द्वारा समन्वित किया गया था। यह तर्क दिया गया कि नायर दिल्ली के मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री की ओर से कार्य कर रहे थे। सबूत नष्ट करने पर ईडी ने कहा है कि सिसोदिया ने 14 फोन नष्ट किए, जिनमें से केवल दो बरामद किए गए।

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