दिल्ली: सोमवार को दिल्ली में किसान महापंचायत का आगाज हुआ. जिसमें देश भर के हजारों किसान रामलीला मैदान में जमा हुए. इस दौरान संयुक्त किसान मोर्चा के वरिष्ठ नेता और प्रवक्ता दर्शन पाल सिंह ने केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के साथ बैठक में शामिल हुए. मुलाकात के बाद दर्शन पाल ने मीडिया को बताया की 30 अप्रैल को आम सभा का आयोजन किया जाएगा जिसके बाद भविष्य के आंदोलन की रूप रेखा तैयार की जाएगी. यानि एक बार फिर किसान आंदोलन की सुगबुगाहट तेज हो गई है. संयुक्त किसान मोर्चा का केंद्र सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप है. जिसके चलते वो नाराज चल रहे हैं, और एक बार फिर आंदोलन की धमकी के साथ दिल्ली पंहुच चुके हैं.
केंद्र सरकार ने एक बार फिर बातचीत के मंच पर किसानों को बुलाया. जिसमें 15 सदस्यों का प्रतिनिधिमंडल ने केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से मुलाकात की. बैठक में सरकार ने किसानों के कई मांग जैसे बिजली बिल में सब्सिडी और बे-मौसम बरसात की वजह से हुए किसानों की फसलों के नुकसान का मुआवजा जैसे मांगों को फौरन मान लिया है.
केंद्र सरकार के आश्वासन के बाद किसानों ने आंदोलन को 9 जिसंवर 2021 को समाप्त कर दिया था. संयुक्त किसान मोर्चा का आरोप है कि आश्वासन के बाद भी सरकार ने तीनों कानून वापस नहीं लिया है. साथ ही सरकार ने वादा किया था कि पसलों का न्यूनतम समर्थन मुल्य तय किया जाएगा, जिसके लिए कमेटी भी बनायी गई. लेकिन, वो वादा भी अभी तक पूरा नहीं किया गया. जिसको लेकर किसान ठगा महशूश कर रहा है.
किसानों का कहना है कि जब नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे तब किसानों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की मांग केंद्र की सरकार से की थी. लेकिन अब जब वो खुद केंद्र में हैं और प्रधानमंत्री हैं तब क्यों समस्या आ रही है.
किसान एक बार फिर दिल्ली घेरने की तैयारी में है. 2024 में लोकसभा चुनाव है. किसान आंदोलन के लिए माकूल समय यही है, मान रहे हैं. लेकिन किसान नेताओं में पहले जैसी एकता नजर नहीं आ रह है. किसान संगठनों और नेताओं के बीच आंदोलन को लेकर मतभेद और मनभेद देखने को मिल रहा है. ऐसे में आंदोलन को सफल बनाना एक बड़ी चुनौती होगी. आंदोलन की रूप रेखा को लेकर अभी तक सहमति नहीं बन पायी है. जिसको लेकर संगठनों के बीच एक राय बनाने की कोशिश जारी है. अब सवाल यह है कि संगठनों के बीच मतभेद का आंदोलन पर क्या प्रभाव पड़ेगा. क्या विभिन्न किसान संगठनों में आम सहमति बन पाएगी.
किसानों ने कृषि मंत्री से मुलाकात में अपने लंबित मांगों के अलावा 5 अन्य मांगों का ज्ञापन भी कृषि मंत्री को सौंपा है. जिसमें पाकिस्तान की सीमा से सटे देशों में रहने वाले पंजाब के किसानों की खतों को लेकर सरकार को ध्यान देने को कहा गया है. इसके अलावा अंतराष्ट्रीय सीमा पर कंटीली तार लगाने के लिए 70 हजार एकर जमीन का अधिग्रहण किया गया था जिसका मुआवजा अभी तक किसानों को नहीं दिया गया है. किसान मोर्चा ने सरकार से किसानों की जमीन वापस करने की मांग की है. इसके साथ ही इस बार आलू, टमाटर, प्याज और सरसो की कीमत में भारी गिरावट के चलते किसानों को बहुत ज्यादा नुकसान हुआ जिसका मुआवजे की मांग सरकार से की है.
किसान एक ओर जहां आंदोलन की बात कर रहे हैं वहीं सरकार बातचीत से मामले को निपटाना चाहती है. अब सरकार किसानों के सभी मांगों को मानती है या फिर आंदोलन किया जाएगा. सरकार क्या रूख अपनाती है देखना होगा.