बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की गिरफ्तारी को लेकर विदेश मंत्रालय ने बांग्लादेश को दो टूक कहा है कि बांग्लादेश में जिस प्रकार की कार्रवाई चल रही है जिन्हें वहां गिरफ्तार किया गया है उन्हें फेयर ट्रायल का मौका मिलना चाहिए। बांग्लादेश के चटगांव की एक अदालत ने 2 जनवरी को इस्कॉन के पूर्व नेता चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी को जमानत देने से इनकार कर दिया। कोर्ट में सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष ने अदालत को बताया था कि यह देशद्रोह का मामला है जिसमें अधिकतम उम्रकैद की सज़ा हो सकती है और वे जमानत का विरोध कर रहे हैं मामले की जांच चल रही है। सुनवाई के दौरान चिन्मय कृष्णदास के वकीलों ने कहा कि झंडे के अपमान को लेकर चिन्मय दास के खिलाफ दर्ज किया गया मामला निराधार है। चिन्मय के वकीलों ने कहा कि सबसे पहली बात तो यह कि रैली के वीडियो में इस्कॉन के झंड़े के नीचे जो झंडा फहराया गया है वह असली में चांद-सितारों का झंडा बांग्लादेश का झंडा नहीं है।
शेख हसीना के प्रत्यर्पण का मामला
विदेश मंत्रालय ने बांग्लादेश की तरफ से शेख हसीना के प्रत्यर्पण को लेकर गया है कि हमें नोट मिला है। इस मामले को लेकर अभी हमारे पास इतनी ही जानकारी है। बांग्लादेश विदेश मंत्रालय ने कहा था कि भारत और बांग्लादेश के बीच 2013 में प्रत्यर्पण संधि हुई थी इसके मुताबिक वह भारत से शेख हसीना की मांग कर रहा है क्योंकि उनपर कई आपराधिक मामले चल रहे हैं। हालांकि प्रत्यर्पण संधि की शर्तों के मामले में अगर किसी शख्स को राजनीतिक वजह से प्रत्यर्पण करने के लिए कहा जाए तो दूसरा देश इसके लिए बाध्य नहीं होगा।