अमृतकाल और भारत में किसानों की आय दोगुनी करना

बिहार: साल 2016 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के किसानों से वादा किया था की किसानों की आय दोगुनी हो जाएगी. पीएम ने कहा था कि जिस वर्ष देश स्वतंत्रता का 75वां साल मना रहा होगा, देश अमृतकाल में प्रवेश करेगा. अब देश अमृतकाल में प्रवेश कर चुका है, तो चर्चा तेज हो गई है. चर्चा प्रधानमंत्री के किए वादों का. विभिन्न क्षेत्रों के लोग अपने-अपने हिसाब समीक्षा कर रहे हैं. सरकार और विपक्ष दोनों अपने –अपने चश्में से देख रही है. लेकिन क्या सच में किसानों की आय दोगुनी हुई है?

 

बिहार के समस्तीपुर के रहने वाले एक किसान ने बताया कि “इस साल उन्होनें 4 एकड़ में आलू की खेती की थी. जब बेचने का समय आया तो कीमत 4 रूपये कीलो हो गया है. ऐसे में लागत भी ऊपर नहीं हो पा रही है. ऊपर से मंहगे होते उर्वरक और खेत की जुताई ने तो कमर ही तोड़ रखी है. आलम ये है की हमारे आलू को कोल स्टोरेज में भी जगह नहीं मिल पा रही है. तंबाकू की खेती ने पहले की हम किसानो की कमर तोड़ दी है. ऐसे में पूरा साल कैसे कटेगा इसकी चिंता है.” कुछ ऐसा ही आलम उत्तर प्रदेश सहित देश के अन्य राज्यों के किसानों की भी है. ऐसे में सरकार द्वारा चलाए गए योजनाओं का लाभ किसानों तक क्यों नहीं पहुंच पा रहा एक सवाल है. सरकारी योजनाएं किसानों की आय क्यों नहीं बढ़ा पा रही है?

किसानों के लिये सरकार द्वारा उठाये गए कदम:
मोदी सरकार ने अपने वादों को पूरा करने के लिए कई जन-कल्याणकारी योजनाएं लागू की है. केंद्र सरकार ने किसानों की आय दौगुनी करने के लिए एमएसपी में बढ़ोतरी करने का काम किया जिससे किसानों को फायदा भी पहुंचा है. साथ ही जैविक खेती पर भी जोर दिया गया है. राष्ट्रीय कृषि बाजार की नींव रखी गई है, ताकि किसानों को उनके फसलों की सही कीमत मिल सके और उनके फसलों को देश के अन्य राज्यों तक पहुंचाया जा सके. सरकार ने किसानों के लिए 2 लाख करोड़ से ज्यादा का सब्सिडी उर्वरक पर दे रही है. छोटे किसानों को पीएम गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत हर माह 5 किलो अनाज प्रदान कर रही है. इसके साथ ही केंद्र सरकार ने किसानों की आय बढ़ाने के मकसद से किसान फसल बीमा, कृषि ऋण और सिंचाई के लिए सब्सिडी देने का काम कर रही है. कृषि मशीनरी पर भी सरकार सब्सिडी दे रही है. जिससे किसानों को उचित फायदा भी मिल रहा है.

फिर क्यों नहीं हो रहा किसानों की आय दोगुनी?
भारत एक कृषि प्रधान देश रहा है. वर्ष 2021-22 कृषि श्रम सर्वेक्षण के अनुसार देश में 55 फिसदी से ज्याद आबादी आज भी कृषि पर निर्भर हैं. जिसमें लगभग 85 प्रतिशत छोटे और सिमांत किसान हैं, जिनके पास 2 हेक्टेयर से भी कम जमीन है. जमीन के छोटे –छोटे हिस्सें किसानो के पास हैं. जिसके कारण वे उन्नत और वैज्ञानिक तरीके से खेती करने में विफल रहते हैं. साथ ही ‘इकोनॉमिज़ ऑफ़ स्केल’ को प्राप्त नहीं कर पाते हैं.

कृषि प्रधान देश होने के बावजूद भी देश के किसानों का एक बड़ा हिस्सा वर्षा पर निर्भर है. देश में अति वर्षा भी किसानों के लिए घाटक रहा है, और कम वर्षा भी किसानों की फसलों को प्रभावित करता है. इसके साथ ही भौगोलिक कारण भी किसानों को मारती रही है. दुनियां के अन्य देशों के मुकाबले भारत में फसल का कम उपजना किसानों के आय में बाधक रहा है. जलवायु परिवर्तन जैसे अनियमित वर्षा, सूखा और बाढ़ जैसे प्रकृति घटनाएं फसलों को प्रभावित करता रहा है.
किसानों के लिए कर्ज बीमा की सुबीधा सरकार द्वारा लागू करने के बाद भी किसानों तक नहीं पहुंच पा रहा है, या किसान नहीं पहुंच पा रहा है. सरकार की ऋण योजना का अप्रयाप्त होना भी एक प्रमुख कारण है, आय बढ़ोतरी में.
सरकार को अपनी नीतियों में सुधार की दरकार है. जैसे निर्यात पर प्रतिबंध, मंडियों से कई फसलों को हटाया जाना और कुछ फसलों को स्टॉकिंग के भरोसे छोड़ देना किसानों के लिए घाटक साबित हुआ है.

फिर क्या करे किसान:
किसानों को अपनी फसलों में विविधता लानी होगी. ऐसे फसलों की उपज पर ध्यान देना होगा जिसका बाजार में मांग और उच्य कीमत प्राप्त हो सके. बेहतर बीज और सिंचाई तकनीक के साथ समय-समय पर किसानों को प्रशिक्षण की भी दरकार है. किसानों के ऐसे फसलों पर विशेष ध्यान देना होगा जो पर्यावरण के अनुकूल हो और कम सिंचाई और उर्वरक के उपयोग से पैदावार हो सके. मोटे फसल जैसे धान, गेंहू, मक्का, दलहन, तिलहन और बागवानी की ओर ध्यान देना होगा. सरकार कौ किसानों की फसलों के लिए बेहतर बाजार, आयात –निर्यात के साधन और उनके सभी फसलों को उचित दामों पर खरीदने के लिए तैयार होना होगा. साथ ही किसानों की फसलों पर जोखिम कम करने के लिए सरकार को कई और कदम उठाने की जरूरत है. इसके लिए सरकार को निगमों और कॉर्पोरेशन के साथ मिल कर दिषा निर्धारित करनी होगी.
दुनिया के अन्य देशों की तरह भारत में भी किसान उन्नत और अधिक उपज कर सके, इसके लिए सरकार को नई प्रौद्योगिकियों पर ध्यान देना होगा. सरकार को चाहिए की ऐसे अनुसंधान संसथानों में निवेश कर किसानों के बेहतरी के लिए काम करे. तीसरी फसल के लिए भारतीय किसान क्या करे इस ओर भी सरकार को ध्यान देना होगा.

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